परंतु इन दवाओं के अधिक उपयोग से जीवाणु, विषाणु, परजीवी आदि में लम्बे अर्से के बाद रोग प्रतिकारक शक्ति पैदा हो जाती है।
2.
तमाम तरह के रोगकारक पैथोजंस (रोग पैदा करने वाले जीवाणु, विषाणु, परजीवी आदि) हमारी अंतड़ियों में डेरा डाले पड़े रहतें हैं.
3.
इसके लिए इनके उत्पादकों पर सख्त निरीक्षण होना चाहिए. जब फसल में कीड़ों के प्राकृतिक शत्रु जैसे परभक्षी और परजीवी आदि हों, ऐसे समयमें उन कीटनाशकों को प्रयोग में लाना चाहिए जो फायदा पहुँचाने वाले कीडों को नमारें.
4.
सजीव, जैसे रोग के सूक्ष्म जीवाणु, परजीवी आदि हैं तथा निर्जीव, भौतिक कारण जैसे गर्मी, सर्दी, विद्युत, अज्ञात रश्मियाँ, विजातीय पदार्थ, चोट लगना आदि तथा रासायनिक पदार्थ, जैसे क्षार, अम्ल, का अनेकों विष आदि, प्रदाह के भिन्न भिन्न कारक हैं।
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सजीव, जैसे रोग के सूक्ष्म जीवाणु, परजीवी आदि हैं तथा निर्जीव, भौतिक कारण जैसे गर्मी, सर्दी, विद्युत, अज्ञात रश्मियाँ, विजातीय पदार्थ, चोट लगना आदि तथा रासायनिक पदार्थ, जैसे क्षार, अम्ल, का अनेकों विष आदि, प्रदाह के भिन्न भिन्न कारक हैं।